सोमवार, 11 फ़रवरी 2013

गलतियौ से जुदा तु भी नही मे भी नही।

गलतियौ से जुदा तु भी नही मे भी नही।. दोनो ईनसान हे खुदा तु भी नही मे भी नही।. तु मुझे और मैं तुझे  लम्हा देते हे मगर।.अपने अंऩदर झाकता तु भी नही मे भी नही। मसलेहतौ ने कर दिया दोनो मे पैदा ईकथलाप।वरना फितरत का बुरा तु भी नही मे भी नही।मुखतलिप सिमटो मे दोनो का सफर जारी रहा। ईक लम्है के लिये रुका तु भी नही मे भी नही। चाहते दोनो बहुत एक दुसरे को हे। मगर ये हकीकत हे कि मानता तु भी नही मे भी नही॥-रामदेवसिह (बालेसर)

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